Saturday, March 21, 2020

कोरोना वॉयरस और रक्तबीज वॉयरस

कोरोनावायरस (Coronavirus) कई वायरस (विषाणु या दैत्यों) प्रकारों का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग के कारक होते हैं। लातिनी भाषा में "कोरोना" का अर्थ "मुकुट" होता है और इस वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्षमदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था।

यह वायरस भी जानवरों से आया है। ज्यादातर लोग जो चीन शहर के केंद्र में स्थित हुआनन सीफ़ूड होलसेल मार्केट में खरीदारी के लिए आते हैं या फिर अक्सर काम करने वाले लोग जो जीवित या नव वध किए गए जानवरों को बेचते थे जो इस वायरस से संक्रमित थे।

2019–20 का कोरोना वायरस प्रकोप

 (21 मार्च 2020 तक):

██ 1000+ पुष्टीकृत मामले

██ 100–999 पुष्टीकृत मामले

██ 10–99 पुष्टीकृत मामले

██ 1–9 पुष्टीकृत मामले



कोरोनावायरस से होने वाली मृत्यु के पुष्टीकृत मामले (21 मार्च 2020 तक):██ देश जहाँ पुष्टीकृत मामले सामने आए हैं, और कम से कम चार मृत्यु हुई है।

यह लेख वर्तमान में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर 2019–20 के कोरोना वायरस प्रकोप से प्रभावित देशों और क्षेत्रों को दर्शाता है। सबसे पहले यह वायरस वुहानचीन में पाया गया, और वहाँ से अन्य क्षेत्रों में फैल गया। चूँकि यह लेख केवल उन स्त्रोतों का उल्लेख करता है जो वर्तमान में उपलब्ध हैं, इसमें सभी समकालीन प्रमुख प्रतिक्रियाएं और उपाय शामिल नहीं की जा सकती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने १२ मार्च, २०२० को इसे महामारी घोषित कर दिया।

इस कोरोना के समान ही इतिहास में एक और वायरस पृथिवी पर वायरल हुआ था । उसने भी कोरोना के समान ही रौद्र रूप धारण कर लिया था। वह था दानव वॉयरस - रक्तबीज वॉयरस। जो एक वॉयरस (दैत्य) से दूसरा वॉयरस (दैत्य) निकलता है। 

दानव रक्तबीज असीम शक्तिशाली था। रणभूमि में वह अपनी असुर सेना के साथ भगवती जगदम्बा के सामने पहुंचा और अपने तीखे बाणों से देवी पर चोट करना आरंभ कर दिया। तब कालिका देवी हाथ में त्रिशूल, गदा और शक्ति लेकर दानवों को मारते हुए विचरने लगी और सैंकड़ों दानव काल का ग्रास बनने लगे।

देवी शिवदूती के अट्टहास से ही दैत्य धरती पर पड़ जाते थे। 'चामुण्डा' और 'कालिका' उन्हें बड़ी उतावली के साथ खाने में जुट जाती थी। रक्तबीज ने सुना-दानवों में भयंकर चीत्कार मचा है और देवता बार-बार जय के नारे लगा रहे हैं। वह महान बली और तेजस्वी दैत्य था। क्रोध के कारण उसकी आंखें लाल हो रही थी।

वह देवी के सामने आ पहुंचा। उस दानव के शरीर से रक्त की बूंद जब भूमि पर गिरती थी तब उस बूंद से तुरंत दानव उत्पन्न हो जाते थे। उनके रूप और पराक्रम में बिलकुल समानता रहती थी। भगवान शंकर ने उसे यह बहुत ही अद्भुत वर दे दिया था कि तुम्हारे रक्त से असंख्य महान पराक्रमी दानव उत्पन्न हो जाएंगे।

वैष्णवी देवी ने दैत्यराज रक्तबीज को चक्र से चोट पहुंचाई। चक्र से छिद जाने के कारण उसके शरीर से रक्त की धारा बह चली। उस समय जहां-जहां भी रक्तबीज के शरीर से निकल कर रक्त की बूंदें भूमि पर गिरती थी, वहीं-वहीं रक्तबीज के समान ही हजारों राक्षस उत्पन्न हो जाते थे।

ऐन्द्री ने उस भयंकर दैत्य रक्तबीज को वज्र से मारा। उससे भी रक्त की बूदें बह चली और उसके रक्त से असंख्य रक्तबीज उत्पन्न हो गए। अब रक्तबीज ने भी क्रोधित होकर अपने पैने बाणों से देवियों को मारना शुरू कर दिया। चण्डिका अपने तीखे तीरों से उसे सब ओर से मारने लगी। अब रक्तबीज के शरीर से रूधिर की मोटी धार बह चली। उससे दानव के समान ही असंख्य शूरवीर उत्पन्न हो गए। अब अनगिनत रक्तबीजों ने देवी पर प्रहार करना आरंभ कर दिया।

यह देखकर देवता भयभीत हो गए। इस प्रकार देवता जब भय से घबराकर अत्यन्त चिन्तित हो गए, तब भगवती जगदम्बा ने काली से कहा 'चामुण्डे!' तुम अपना मुख फैलाकर मेरे शस्त्रघात के द्वारा रक्तबीज के शरीर से निकले हुए रूधिर को पीती जाओ। तुम ऐसे ढंग से इस दानव का रूधिर पीती रहो कि अब खून की भी बूंद धरती पर न गिरने पाए। इस प्रकार दूसरे दानव उत्पन्न नहीं हो सकेंगे।


जगदम्बा ने तलवार और मूसल से रक्तबीज को मारना आरंभ किया और भूखी चण्डिका उसके शरीर के अंगों को खाने लगी। उस दैत्य के रक्त से उत्पन्न अन्य जितने भी महाबली क्रूर रक्तबीज थे, वे सभी गिरते गए और काली उन सबका रूधिर पीने लगी। इस तरह सारे कृत्रिम रक्तबीज तुरंत ही चण्डिका देवी का कलेवा बन गए। जो असली रक्तबीज था, वह भी भयानक चोट खाकर गिर पड़ा। फिर वह उठा और एक हाथ में गदा लेकर देवी को मारने दौड़ा लेकिन देवी ने उसका प्रहार निष्फल कर दिया।

अब यह घायल दैत्य अपने तेज नखों से देवी के सिंह को मारने दौड़ा। उस दैत्य ने वृषभ का रूप धारण कर सिंह को चोट पहुंचाई तब देवी ने उस दैत्य को मारकर धरती को नव जीवन प्रदान किया ।

कोरोना का उपचार :

सूद के अनुसार, मानव कोरोना वायरस आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में निंम्न तरीको से फैलते हैं:

“हवा से – खांसने और छींकने से व्यक्तिगत संपर्क, जैसे कि हाथ को छूना या हाथ मिलाना।

वायरस संक्रमित वस्तु या सतह को छूना, फिर अपने हाथ धोने से पहले अपने मुंह, नाक या आंखों को छूना ”

“संयुक्त राज्य अमेरिका में, लोग आम तौर पर गिरावट और सर्दियों में आम मानव कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं। हालांकि, संक्रमण वर्ष के किसी भी समय हो सकता है, ”उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा, “अधिकांश लोग अपने जीवनकाल में एक या अधिक सामान्य मानव कोरोनवायरस से संक्रमित हो जाएंगे।”

सूद भी SARS और MERS दोनों के प्रकोपों ​​को पशु-से-मानव संपर्क से बताता है, SARS में ऊंटों के संपर्क से चमगादड़ और MERS के संपर्क से सबसे अधिक संभावना है।”चूंकि संक्रमण पैदा करने वाला जीव एक वायरस है, इसलिए आज तक हमारे पास कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं,” सूद ने कहा।

चीनी अधिकारियों ने सांस की बीमारी के प्रकोप की पहचान की है। सीडीसी ने प्रकोप के कारण एक स्तर 3 की चेतावनी जारी की है, यात्रियों को सूचित करते हुए कि वे इस क्षेत्र में गैर-संभावित यात्रा से बचें।

इटली, दक्षिण कोरिया और ईरान में चीन के बाहर अब नए क्लस्टर बन गए हैं।


विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि चूंकि वायरस बीमारी का कारण है, इसलिए कोई भी उपचार उपलब्ध नहीं है।आज कोरोना पीड़ित 1 व्यक्ति के सम्पर्क में आने से वह व्यक्ति भी संक्रमित होता है । इस तरह एक से 2 ,2 से 30 क्रमशः बढ़ते जाते है। इस कोरोनारूपी दानव को मारने का एक ही तरीका है जो माँ काली ने अपनाया कि रक्त कहीं न गिरे। मतलब हम एक दूसरे से थोड़ी दूरी बनाए रखे सम्पर्क में न आये। भीड़ से बचे , अनावश्यक घर से न निकले। निश्चित ही नवरात्रि की समाप्ति तक माँ जगदम्बा की कृपा से अवश्य ही यह कोरोना वायरस निश्चित रूप से समाप्ति की ओर होगा।शक्ति माता किसी न किसी माध्यम से अवश्य हम सब की रक्षा करेंगी। आज से ही वो समस्त बंधुगण जो ईश्वर पर विश्वास रखते है, दुर्गा कवच का पाठ प्रारम्भ करें।

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- डॉ. विकास शर्मा

 

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