Monday, March 23, 2020

नारद संहिता में वर्णित है करोना की स्टीक भविष्यवाणी


वर्तमान में पूरे विश्व को भयभीत करने वाली करोना महामारी की भविष्यवाणी आज से लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व नारद संहिता में कर दी गई थी यह भी उसी समय बता दिया गया था कि यह महामारी किस दिशा से फैलेगी।


भूपाव हो महारोगो मध्य स्यार्धवृष्टय ।
दुखिनो जंत्व सर्वे वत्स रे परीधाविनी ।।
अर्थात परीधावी नामक संवत्सर में राजाओं में परस्पर युद्ध होगा और महामारी फैलेगी बारिश भी असामान्य होगी व सभी प्राणी दुखी होंगे ।
इस महामारी का प्रारम्भ 2019 के अंत में पड़ने वाले सूर्यग्रहण से होगा ! जिसका बृहत संहिता में वर्णन भी आया है……..
शनिश्चर भूमिप्तो स्कृद रोगे प्रीपिडिते जनाः
अर्थात जिस वर्ष के राजा #शनि होते हैं उस वर्ष में महामारी फैलती है।
विशिष्ट संहिता में वर्णन प्राप्त हुआ है कि जिस दिन इस रोग का प्रारम्भ होगा उस दिन पूर्वा भाद्र नक्षत्र होगा ।
यह 100% सत्य है कि 26 दिसंबर 2019 को पूर्वाभाद्र नक्षत्र था औऱ उसी दिन से महामारी का प्रारंभ हो गया था, क्योंकि…. चीन  से इसी समय यह महामारी जिसका की पूर्व दिशा से फैलने का संकेत नारद संहिता में पहले से ही दे रखा था, शुरू हुई थी ।
महामारी का अंत………
विशिष्ट संहिता  के अनुसार इस महामारी का प्रभाव 3 से 7 महीने तक रहेगा ! परंतु नव संवत्सर 2078 के प्रारम्भ से इसका प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा अर्थात भारतीय नव संवत्सर जिसका नाम प्रमादी संवत्सर है जो कि 25 मार्च से प्रारंभ हो रहा है इसी दिन से करोना का प्रभाव कम होना प्रारम्भ हो जाएगा ।
हमारे धर्मशास्त्रों  में सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर अंत तक की प्रत्येक भविष्यवाणी की गई है परन्तु हम भारतीय आज भी पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण कर रहे हैं। आओ पुनः लौटें अपनी संस्कृति की औऱ…..
साभार

No comments:

Post a Comment