Saturday, March 21, 2020

कोरोना बचाव व हिन्दू धर्म में सूतक रहस्य

हिन्दू धर्म मे विभिन्न कार्यो में सूतक बताया गया है।

सूतक यानी अलगाव, कुछ दिन अलग रहना।

संतान के जन्म के समय उस घर मे सूतक होता है,
किसी की मृत्यु में घर मे सूतक होता है

अर्थात इन परिवारों के घर कोई नही जा सकता और नाही इनसे कोई मिल सकता था।

क्यो?

क्यंकि
सन्तान के जन्म के बाद बाहरी लोगों से उसके स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। सन्तान और उसकी माता बीमारी के सबसे आसान शिकार होते है। इसलिए दूसरे के संपर्क से इनको दूर रखा जाता था।

किसी के घर मृत्यु हो जाए तो 3 दिन का सूतक उस घर मे होता है।
घर मे बीमार होकर मरने वाले व्यक्ति या मृत शरीर मे ही नए जीवाणु पनपने लगते है।
इसलिए शव का दाह संस्कार किया जाता है। और इस परिवार को समाज से 3 दिन बिना संपर्क के रहना पड़ता है ताकि मृत व्यक्ति के कारण कोई जीवाणु इनको प्रभावित किया हो तो दूसरों को नही करे।
इस कीटाणु को अस्तित्व को सम्पूर्ण खत्म करने के लिए मृत्यु वाले घर मे तीसरे दिन समस्त कपड़े धोए जाते है, हर सामान साफ किया जाता है और दीवालों पर पुताई की जाती है, गोबर से पुरे घर को लीपा जाता है। ये है सम्पूर्ण सैनिटाइजेशन।

अब शवदाह करके लौटने वाले लोगो को अगर ये जीवाणु लग गया तो? उसके उपाय के लिए घर मे घुसने से पहले नीम पानी से पूरे हाथ पैर धोकर, इस नीम पानी को अपने कपड़ो पर छिड़ककर फिर नहाते थे। ये नीम पानी ही सेनेटाइजर होता है और नहाने से कीटाणु खत्म।
परम्परा ये है कि शवदाह करके फिर तालाब या नदी में नहाकर ही लोग घर लौटते थे। और विशेष बात * जब लोग तालाब में एकसाथ नहाने के लिए किनारे पर एकत्रित होते थे, उसके कुछ देर पहले ही तालाब के आस पास उपस्थित सामान्य लोगो को हटा दिया जाता था। और एकत्रित हुए लोग तालाब के उस तरफ घाट पर नहाते थे जिसका उपयोग सामान्य लोग नही करते। ये था जनता कर्फ्यू

अब बताइये
हिन्दू धर्म ही श्रेष्ठ है या नही।

और
कुछ घटिया लोग हिन्दू धर्म की परम्पराओ को अंधविश्वास कहकर मिशनरी से पैसे लेकर हिन्दू धर्म का विरोध करते रहते है।

मूर्ख कौन ?

गर्व करो अपने धर्म पर, अपनी सभ्यता पर और अपनी परंपराओं पर।
#IndiaFightsCorona #corona

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