Friday, February 21, 2020

शिव और विज्ञान / शिव के तांडव नृत्य को अमेरिकन वैज्ञानिक ने परमाणुओं की उत्पत्ति से जोड़ा


स्विटजरलैंड में यूरोपियन परमाणु शोध संस्थान के बाहर लगी है शिव के नटराज स्वरूप की प्रतिमा

भगवान शिव की पूजा धार्मिक नजरिए से महत्वपूर्ण तो है ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।ऑस्ट्रियन मूल के अमेरिकन भौतिकी वैज्ञानिक और दार्शनिक फ्रिटजॉफ़ कैपरा ने शिवजी के नटराज स्वरूप के तांडव नृत्य को परमाणुओं की उत्पत्ति और विनाश से जोड़ा है।फ्रिटजॉफ़ कैपरा ने1972 में प्रकाशित मेन करेंट्स ऑफ मॉडर्न थॉट नाम की अपनी किताब में द डांस ऑफ शिव नाम के लेख में शिव के नृत्य और उप परमाणु कणों के नृत्य के बीच समानता की चर्चा की थी।

इसके बाद 8 जून, 2004 को जिनेवा में CERN के यूरोपीयन सेंटर फॉर रिसर्च इन पार्टिकल फिजिक्स में शिव के तांडव नृत्य करती हुई नटराज स्वरूप की 2 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस मूर्ति को भारत द्वारासर्न के साथ अनुसंधान केंद्र के लंबे सहयोग का जश्न मनाने के लिए दिया गया था।

शिव के तांडव में विज्ञान

शिव जी के नृत्य के दो रूप है। एक है लास्य जिसे नृत्य का कोमल रूप कहा जाता है। वहीं दूसरा तांडव है जो कि विनाश को दर्शाता है। भगवान शिव के नृत्य की अवस्थाएं सजृन और विनाश दोनों को समझाती है। शिव जी का ताण्डव नृत्य ब्रह्माण्ड में हो रहे मूल कणों के नृत्य यानी उनके उतार-चढ़ाव की क्रियाओं का प्रतीक है।
यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्‍यूक्‍लियर रिसर्च (सर्न)की प्रयोगशाला के बाहर नटराज की मूर्ति रखी हुई है। नटराज की मूर्ति और ब्रह्मांडीय नृत्य के बारे में भौतिक वैज्ञानिक और दार्शनिक फ्रिट्जॉफ केप्रा ने भौतिकी विज्ञान का हवाला देते हुए बताया है कि भौतिक वैज्ञानिक फिर से उन्‍नत तकनीकों को इस्‍तेमाल करते हुए कॉस्‍मिक डांस का प्रारूप तैयार कर रहे हैं। कॉस्मिक डांस यानि भगवान शिव का तांडव नृत्य जो किविनाश व सृजन दोनों का प्रतिक है।
तांडव करते हुए नटराज के पीछे बना चक्र ब्रह्माण्ड का प्रतीक है। उनके दाएं हाथ का डमरू नए परमाणु की उत्पत्ति व बाएं हाथ में अग्नि पुराने परमाणुओं के विनाश की ओर संकेत देती है। इससे ये समझा जा सकता है कि अभय मुद्रा में भगवान का दूसरा दांया हाथ हमारी सुरक्षा जबकि वरद मुद्रा में उठा दूसरा बांया हाथ हमारी जरुरतों की पूर्ति सुनिश्चित करता है।
शिव पूजा का विज्ञान

उज्जैन के धर्म विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाली पूजन सामग्री को लेकर शोध किया है। शोध में दावा किया है कि न्यूक्लियर रियेक्टर और शिवलिंग में समानता होती है। इसलिए ज्योतिर्लिंग पर रेडिएशन अधिक होता है। रेडिएशन के कारण आवेश अधिक न हो इसलिए शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाया जाता है।
संस्थान के वरिष्ठ धर्म वैज्ञानिक डॉ. जगदीशचंद्र जोशी के अनुसार न्यूक्लियर में आग के पदार्थ कार्डिएक ग्लाएकोसाइट्स कैल्शियम ऑक्सीलेट, फेटी एसिड, यूरेकिन, टोक्सिन आदि पाए जाते हैं। इनसे पैदा होने वाली गर्मी को संतुलित करने के लिए ही शिव पूजा में मदार यानी आंकड़े के फूल व बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं, जो कि न्यूक्लियर ऊर्जा को संतुलित रखते हैं।धर्म और विज्ञान पर अध्ययन करने वाली इस संस्था ने शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाली चीजों की प्रकृति और उनमें पाए जाने वाले तत्वों की वैज्ञानिक व्याख्या के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है।
धर्म विज्ञान शोध संस्थान केवैभव जोशी के अनुसार दूध में फेट, प्रोटीन, लैक्टिक एसिड व दही में विटामिन्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस व शहद में फ्रुक्टोस, ग्लूकोज जैसे डाईसेक्राइट, ट्राईसेक्राइट, प्रोटीन, एंजाइम्स होते हैं। वहींदूध, दही, शहद शिवलिंग पर कवच बनाए रखते हैं। इसके साथ ही शिव मंत्रों से निकलने वाली ध्वनि आवेशित ऊर्जा का ब्रह्मांड में धनात्मक परिवर्तन करने में सहायक है।
बिल्वपत्र से नियंत्रित होती है शरीर की गर्मी

बिल्वपत्र मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम जैसे रसायन पाए जाते है।जिससे इसकी तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसका उपयोग फायदेमंद होता है। बिल्वपत्र का औषधिय उपयोग करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। पेट के कीड़े खत्म होते हैं और शरीर की गर्मी नियंत्रित होती है।

रुद्राक्ष से ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्रॉल रहता है नियंत्रित

धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार शिवपुराणकी विद्येश्वर संहिता में बताया गया है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार रूद्राक्ष में पाए जाने वाले गुण मनुष्य के नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं।
रुद्राक्ष में केमो फॉर्मेकोलॉजिकल नाम का गुण पाया जाता है। इस गुण से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। इससे दिल संबंधी रोग होने का खतरा कम हो जाता है। रुद्राक्ष में आयरन, फॉस्फोरस, एल्युमीनियम, कैल्शियम, सोडियम और पोटैशियम गुण पर्याप्त मात्रा में होते हैं। रुद्राक्ष के ये गुण शरीर के नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं।

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