आपदर्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपदः
कदाचिच्चलिता लक्ष्मीः सञ्चितोऽपि विनश्यति ॥७॥भावार्थ – व्यक्ति को कठिन समय से निपटने के लिए धन का संचय करना चाहिए। क्योंकि धन अर्थात् लक्ष्मी को चंचल कहा गया है। एक समय ऐसा आता है कि इकट्ठा किया हुआ रुपया-पैसा भी नष्ट हो जाता है।
Chankya Niti-1-7 – Sanskrit – Hindi || चाणक्य नीति -1-7 – संस्कृत- हिंदी
https://youtu.be/vXP3u1uH3CA